केमिकल युक्त दूध का मामलाः हाई कोर्ट ने तलब की जांच में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ की गई कार्यवाही की रिपोर्ट

देहरादून, 05 अप्रैल (हि.स.)। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नैनीताल दूध उत्पादक संघ लालकुआं में फर्जीवाड़े और केमिकल युक्त दूध की सप्लाई के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि पूर्व में कमिश्नर द्वारा दी गई जांच में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ अब तक की गई कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए। मामले की अगली सुनवाई के लिए खण्डपीठ ने 21 अगस्त की तिथि नियत की है।

मामले के अनुसार लालकुआं निवासी नरेंद्र सिंह कार्की व भुवन चन्द्र पोखरिया ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा कि नैनीताल दुग्ध संघ में चरम पर भ्रष्टाचार कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है, जिसमें प्रदेशवासियों को अधोमानक दूध की सप्लाई की जा रही है। इसको पीने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है, जिसमें वर्ष 2020 के अंतिम 3 माह में लगभग 7 लाख लीटर दूध जांच के दौरान सभी मानकों में फेल होने के बावजूद प्रदेश भर में दूध की सप्लाई की गई।

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि दुग्ध उत्पादन संघ के चेयरमैन फर्जी तरीके से मेंबरशिप अर्जित कर चेयरमैन बने हुए हैं। इन्होंने कभी भी संघ के लिए दूध की सप्लाई नहीं की है। चेयरमैन पर यह भी आरोप है कि दुग्ध सप्लाई के लिए जिन टैंकरों का उपयोग किया जा रहा है उनका ठेका अपने भाई के नाम से लिया हुआ है।

आज सुनवाई पर भुवन चन्द्र पोखरिया ने शपथपत्र पेश कर कुमाऊं कमिश्नर द्वारा की गई जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि कुमाऊं कमिश्नर ने 19 अक्टूबर, 2023 को इस मामले की जांच करके सरकार को रिपोर्ट भेज दी। इसके बावजूद अभी तक सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की न ही इसका संज्ञान लिया जबकि रिपोर्ट में दूध के सारे सैम्पल मानकों के विपरीत पाए गए। दूध में एल्कोहॉल, कास्टिक सोडा और मैलालाइन की मात्रा अधिक पाई गई।

हिन्दुस्थान समाचार/लता नेगी/दधिबल

   

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