विद्यालय की सफलता प्रधानाचार्य की कुशल रणनीति एवं योजनाओं से सम्भव : दिव्यकांत शुक्ल

--विद्यालय के उत्थान में उसके प्रधानाचार्य की अहम भूमिका : रमेश

--प्रान्तीय प्रधानाचार्य बैठक में प्रधानाचार्यो को दिया गया प्रशिक्षण

प्रयागराज, 06 अप्रैल (हि.स.)। शिक्षा का विकास तब तक सम्भव नहीं है, जब तक शिक्षक का पूर्ण रुपेण विकास नहीं होता। भारत सरकार के प्रधानमंत्री द्वारा इसी शिक्षा एवं शिक्षक के विकास को ध्यान में रखते हुये राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण एवं क्रियान्वयन किया गया। किसी भी विद्यालय की सफलता उसके प्रधानाचार्य की कुशल रणनीति एवं योजनाओं द्वारा ही सम्भव है।

उक्त विचार मुख्य अतिथि यूपी बोर्ड के सचिव दिव्यकान्त शुक्ल ने रज्जू भैया शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संचालित सिविल लाइन्स स्थित ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज में आयोजित त्रिदिवसीय प्रान्तीय प्रधानाचार्य कार्ययोजना बैठक के दूसरे दिन व्यक्त किया। उन्होंने प्रधानाचार्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि एक प्रधानाचार्य को कुशल योजक, आयोजक तथा नेतृत्वकर्ता होना चाहिए। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह त्रिदिवसीय प्रधानाचार्य कार्ययोजना बैठक आहुत की गई है।

काशी प्रान्त प्रचारक रमेश ने कहा कि किसी भी विद्यालय के उत्थान में उसके प्रधानाचार्य की अहम भूमिका होती है। अतः प्रधानाचार्य को अहर्निश विद्यालय एवं समाज के उत्थान के लिए निष्ठापूर्वक अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए।

विद्या भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचन्द्र ने गुणवत्ता क्यों और कैसे विषय के माध्यम से प्रधानाचार्यों को अपना उद्बोधन दिया। क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय, क्षेत्रीय खेलकूद प्रमुख जगदीश सिंह, क्षेत्रीय मानक परिषद प्रमुख राजेन्द्र बाबू एवं क्षेत्रीय संस्कृति बोध परियोजना प्रमुख राजकुमार सिंह ने विभिन्न सत्रों में प्रधानाचार्यों का मार्गदर्शन किया।

मीडिया प्रभारी सरोज दूबे ने बताया कि दूसरे दिन के सम्पूर्ण कार्यक्रम पांच सत्रों में हुए। इन सभी सत्रों में आये हुये प्रधानाचार्यों को मार्गदर्शन एवं पाथेय प्राप्त हुआ। कार्यक्रम के दूसरे दिन के सभी सत्रों में प्रान्तीय संगठन मंत्री डॉ राममनोहर, प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी तथा सम्भाग निरीक्षक गोपालजी तिवारी के कुशल निर्देशन में सम्पन्न हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/मोहित

   

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