लगभग तीन सौ वर्ष पुराना मंदिर बना श्रद्धा व आस्था का केंद्र

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औरैया, 20 अप्रैल (हि. स.)। जनपद के जमौली गांव में पौरांणिक ब्रह्मदेव का मेला चैत्र पूर्णिमा की भोर होते ही गगनचुम्बी जयकारे के साथ शुरू हो जायेगा। सुबह होते ही मेला परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी। सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाले ग्राम जमौली के निकट स्थित बाबा ब्रह्मदेव मंदिर पर नवरात्रि के पहले दिन से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। मालूम हो कि यहां हर वर्ष चैत्र की पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है।

कोरोना काल के कारण पिछले दो वर्षो से यहां मेले का आयोजन स्थगित करना पड़ा। मंदिर की देखरेख करने वाले महंत ने बताया कि मंदिर के पीछे खड़ा पीपल का पेड़ लगभग 300 वर्ष पुराना है।इसी प्राचीन एतिहासिक पेड़ में बाबा ब्रह्मदेव का बास है ऐसा कहा जाता है, कि जगनिक नाम का एक व्यक्ति महोबा से कन्नौज जा रहा था, और इसी रास्ते से गुजरते हुए रास्ता भूल गया, और इसी पीपल के पेड़ के नीचे सो गया। तभी सफेद घोड़े पर सवार होकर साधु के भेष में एक महात्मा प्रकट हुए, और जगनिक नाम के उस व्यक्ति को उसके गंतव्य स्थान कन्नौज पहुंचाया। वहां से लौटकर उसने सारी घटना लोगो को बताई और वहां एक छोटा सा मंदिर बनवाया। तभी से यहां श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया। जैसे -जैसे भत्तों की मनोकामना पूर्ण होने लगी, दूर- दूर अन्य प्रदेशों से भी लोग आने लगे , और इस मंदिर पर विशाल मेला लगना शुरू हो गया।

भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने के बाद दूर- दूर से श्रद्धालु गण इसी मनोकामना पूर्ण करने पेड़ पर झंडा और प्रसाद चढ़ाने आते है। बाबा ब्रह्मदेव मंदिर के निकट भगवान शनिदेव माता दुर्गा, बजरंगबली व भोले बाबा आदि कई मंदिर है। महंत ने बताया 23 अप्रैल से यहां एक विशाल मेला लगने जा रहा है,। जिसकी तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई है। शासन प्रशासन को भी इसकी सूचना दे दी गई है।

हिन्दुस्थान समाचार / सुनील /बृजनंदन

   

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