पर्यावरण संरक्षण के लिए सिक्किम से सीख लें : राज्यपाल

जयपुर, 16 मई(हि. स.)। राजभवन में गुरुवार को सिक्किम का स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने इस दौरान सिक्किम के स्थानीय जनों से संवाद किया और उन्हें स्थापना दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर का यह प्रदेश प्राकृतिक दृष्टि से ही संपन्न नहीं है बल्कि भारत की सनातन संस्कृति का भी संवाहक हैं। उन्होंने सिक्किम राज्य के इतिहास और संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा कि 16 मई को यह भारत का 22वां राज्य बना। प्रकृति की सुंदरता संजोए यह धरती का दूसरा स्वर्ग है।

राज्यपाल ने सिक्किम को घाटियों, वन और नदियों का प्रदेश बताते हुए पर्यावरण संरक्षण के लिए किए वहां के कार्यों से सीख लेने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह देश का पहला जैविक प्रदेश है और जिस तरह से स्थानीय लोगों ने सिक्किम की प्रकृति संरक्षण परम्पराओं को सहेज रखा है, वह देश के अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय है।

मिश्र ने आरंभ में संविधान की उद्देशिका का सभी को वाचन करवाया और मूल कर्तव्य पढ़कर सुनाए। उन्होंने कहा कि संविधान पवित्र ग्रंथ भर नहीं है बल्कि यह भारत की गीता, कुरान और बाइबिल है। उन्होंने संविधान में निहित अधिकारों के साथ कर्तव्यों के लिए भी सभी को सजग रहने का आह्वान किया। उन्होंने संविधान की मूल प्रति पर उकेरे भगवान श्री राम, श्री कृष्ण, बुध, गुरु गोविन्द सिंह आदि के चित्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की विविधता में एकता की संस्कृति का संविधान संवाहक है। सिक्किम के स्थानीय लोगों ने इस अवसर पर राज्यपाल का अभिनंदन किया। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव गौरव गोयल और प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल भी उपस्थित रहे।

हिंदुस्तान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर

   

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