लोकसभा चुनाव : गुजरात में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का चुनाव लड़ने से इनकार, पार्टी पसोपेश में

-फंड की कमी और भाजपा की तैयारियों को देख कर मैदान छोड़ रहे कांग्रेस नेता

अहमदाबाद, 22 मार्च (हि.स.)। लोकसभा चुनाव से पहले ही गुजरात कांग्रेस मैदान छोड़ रही है। भाजपा की व्यापक चुनावी तैयारी के अलावा कांग्रेस इन दिनों फंड की कमी से जूझ रही है। ऐसे में पार्टी के दिग्गज नेता बस भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार लड़ाने की बात कर रहे हैं लेकिन खुद चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा के लिए गुजरात में एक बार फिर 26 की 26 सीट जीतकर हैट्रिक लगाने का रास्ता अभी से साफ होता दिखाई दे रहा है।

लोकसभा चुनाव में पहली बार ऐसा राज्य बना है, जहां से कांग्रेस के पास अच्छे उम्मीदवारों की भी कमी हो गई है। कांग्रेस के कई दिग्गज नेता जहां दलबदल कर भाजपा में जा चुके हैं, जो बाकी बचे हैं वह मैदान छोड़ रहे हैं। ऐसे नेताओं की संख्या एक-दो नहीं है, बल्कि आधा दर्जन नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान के सामने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। एक जानकारी यह भी है कि कांग्रेस के पास फंड की भी कमी है, जिससे नेता अपने घर का पैसा खर्च कर चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे हैं।

इन नेताओं ने किया चुनाव लड़ने से किया किनारा

जानकारी के अनुसार कांग्रेस राजकोट से भाजपा उम्मीदवार परसोत्तम रूपाला के विरुद्ध पूर्व नेता प्रतिपक्ष परेश धानाणी को चुनाव लड़वाना चाहती थी लेकिन धानाणी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। धानाणी लेउवा पटेल हैं, जिसकी संख्या राजकोट सीट पर सर्वाधिक 4 लाख है। वहीं, रूपाला कड़वा पाटीदार है, जिनकी संख्या महज 1 लाख ही है। वर्ष 2002 विधानसभा चुनाव में धानाणी ने अमरेली से भाजपा उम्मीदवार बने परसोत्तम रूपाला को हरा कर जाइंट किलर की छवि बनाई है। परेश धानाणी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। ऐसे में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने धानाणी को रूपाला के विरुद्ध चुनाव लड़ने को कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप दूधात, रोहन गुप्ता, भरत सिंह सोलंकी, जगदीश ठाकोर, हिम्मत सिंह पटेल और शैलेश परमार ने भी चुनाव लड़ने से हाथ खींच लिया है।

कांग्रेस का टूटा मनोबल

जानकारी के अनुसार गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के नेतृत्व में 182 में से 156 सीट जीती थी। इसके बाद भी भाजपा का विजय रथ नहीं रुका और कांग्रेस के 17 विधायकों में से 4 विधायकों अर्जुन मोढ़वाडिया, चिराग पटेल, सीजे चावड़ा और अरविंद लादाणी ने इस्तीफा दे दिया है। इससे कांग्रेस के मनोबल पर काफी असर हुआ है। इतना ही नहीं तहसील स्तर से लेकर जिला स्तर के सैकड़ों नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इससे पार्टी के पास फंड से लेकर कार्यकर्ता तक की कमी है। इसके अलावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने सभी सीटों को 5 लाख मतों के मार्जिन से जीतने की हुंकार कार्यकर्ताओं के सामने भरी है। इससे कांग्रेस चारों खाने चित हो गई है। भाजपा के चुनाव के संबंध में सूक्ष्म प्रबंधन से लेकर कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा है, जिसके सामने कांग्रेस कार्यकर्ता अपने बड़े और दिग्गज नेताओं के बारे में ही आशंकित है कि वे यदि भूले-भटके जीत भी गए और इसके बाद कभी भाजपा का दामन थाम लेंगे तो उनका क्या होगा?

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/संजीव

   

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